भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जीवन में मिलना कभी, बस इतनी फ़रियाद।
233
दुनिया सारी इक जंगल हैंअम्बर को छूने लगा, शूल बिछे हर द्वार।जब तेरा अनुराग ।उपवन तुम हो इस जीवन कादुनिया को क्या कहें, '''खुशबू तेरा प्यार।'''-0-रोज़ लगाती दाग़ ॥
</poem>