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बारह बरस गुज़र चुके हैं आज तक
वो आकुलताओं का नीला मोती वह मुँह में डाल लेता है ।
और इस तरह अपने सौभाग्य को भी चकमा देता है ।
और जितना समय पलक झपकने में लगता है
उसे याद करने के लिए, बस, बचा उतना समय बचता है ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''