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Kavita Kosh से
वैसे, जो सबके उसूल, मेरे उसूल हैं
लेकिन ऐसे नहीं कि जो बिल्कुल फिजूल हैं
तय है ऐसी हालत में, कुछ घाटे होंगे-—लेकिन ऐसे सब घाटे मुझको क़बूल हैं।हैं ।
मैं ऐसे लोगों का साथ न दे पाऊँगा
जिनके खाते अलग, अलग जिनका हिसाब है ।
'''किनारे ’किनारे के पेड़ पेड़’ नामक काव्य-संग्रह से'''
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