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Kavita Kosh से
अपने दुश्मन में मैंने अपना मेहरबां देखा
ऐसे हालात पे रोना अय्याम में भी रोना खूब आया मुझे
जब फटेहाल कभी अपना गिरेबां देखा
हसीन फूल को कांटों के दरमियां देखा
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