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बदल दो जीवन / उत्पल बैनर्जी / मंदाक्रान्ता सेन
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11:00, 18 सितम्बर 2023
लाश नहीं,
पलाश से भर उठे प्रेम का बाग।
'''मूल बांगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी'''
</poem>
अनिल जनविजय
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