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|रचनाकार=अहमद शामलू
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
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<poem>
यदि स्वतंत्रता गा पाती एक गीत
छोटा सा
एक चिड़िया के गले की भाँति,
कहीं नहीं बची रहेगी एक ढहती हुई दीवार ।

यह समझने में नहीं लगेंगे बहुत साल

कि खण्डहर हैं संकेत
मनुष्य की अनुपस्थिति के,
कि मनुष्य की उपस्थिति
सृजित करती है जीवन ।

00

एक घाव की भाँति
रक्त टपकता है जिससे,
जीवन भर;

एक घाव की भाँति
पीड़ा से डभकता
किसी के जीवन भर;

दुनिया में आँखें खोलना
एक चीख़ के साथ,
ग़ायब हो जाना यहाँ से
घृणा के साथ ।

यह थी सबसे बड़ी अनुपस्थिति ।
यह थी खण्डहर की कहानी ।

00

यदि स्वतंत्रता गा सकती एक गीत,
नन्हा सा,
एक चिड़िया के गले से भी नन्हा ।

'''शोलेह वोलपे के अँग्रेज़ी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
</poem>
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