भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शादाब वज्दी |अनुवादक=श्रीविलास स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शादाब वज्दी
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
यह है एक स्त्री का गायन, हवा के संग झूमता ।
उसकी आवाज की उद्वेलित, बिखरी हुई वर्षा
छेड़ती है घिस चुके रात्रिकालीन तार
और प्रक्षालित करती है थकन की धूल
क़स्बे की पिछली गलियों से ।

यह है एक स्त्री का गायन, हवा के संग झूमता ।
उसके गीतों की अग्नि जैसी ऊष्मा
स्पर्श करती है ट्यूलिप के लज्जालु गालों को,
उन्हें लाल कर देती अंगारों सी ।
उसके गीतों की अग्नि जैसी ऊष्मा
स्पर्श करती है गेहूँ की उल्लसित बालियों को,
उन्हें और उन्मत्त करती ।

ओह, मेरे अन्तहीन गीत !
कब तक तुम बने रहोगे साथी तूफ़ान की आत्मा के
जंगल के हरित विद्रोह में
और चिरस्थायी नदियों के संघर्ष के संग
चक्कर काटते पर्वतों का पतझड़ के बादलों की भाँति
कब तक
तुम क़दम भरते रहोगे यायावर सड़कों के एकाकीपन के संग ?

यह धब्बा क्या है रात्रिकालीन बादलों की कालिमा में ?
यह है छाया मेरे हृदय द्वारा निर्मित
यह है छाया मेरे हृदय की
उसके वक्ष पर रेंगती
आँसुओं की बूँदों से नम गलियों संग
ओ, राहगीरो ! ओ, प्रेम के मारे प्राणियो !
चलो और सावधानी से, और धीमे से ।

कठिन पहाड़ी दर्रों से
और सूखाग्रस्त मरुभूमि के विस्तार में
हर तूफ़ान में झूम रहा एक हृदय है, बुदबुदाता :
“मैं कहाँ हूँ ? मैं कौन हूँ ?
मैं हूँ एक झुँझलाया यायावर
महासमुद्र के तूफ़ान लाते पानियों में;
मैं नहीं हूँ लहर;
मैं हूँ, बस, एक रंगहीन बूँद”

देखो, कैसे तुम्हारे गीत
मिल जाते हैं आज रात प्रेमियों के रक्त में ।
देखो, कैसे आकाशगंगाओं के मध्य
ग्रह चलते हैं तीव्रता और बिना लय के ।
एक एक पीड़ा फाड़ देती है क़स्बे को टुकड़ों में
और एक क़स्बा हाँफता है थकान से
प्रतीक्षा करता धैर्य और सन्नाटे के
क्षणों के विस्फोट की ।

यह है एक स्त्री का गायन, झूमता हवा के संग ।
और उसकी आवाज़ के तार पर
बैठ जाता है सी-गल पक्षियों का एक झुण्ड ।

'''अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''

'''लीजिए, अब यही कविता लोतफ़ाली ख़ोन्जी के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Shadab Vajdi
A Heart Blows in Every Storm

It is a woman’s singing, blowing with the wind.
The disturbed, scattered rain of her voice
plays the worn out nocturnal strings
and washes the dust of exhaustion
off the town’s back alleys.

It is a woman’s singing, blowing with the wind.
The fiery heat of her melodies
touches the shy faces of tulips, turning them red hot.
The fiery heat of her melodies
touches the spirit of elated wheat ears,
making them ever more ecstatic.

Oh, my endless melody!
For how long will you remain the companion of the spirit of the storm
in the green rebellion of the forest
and with the struggle of everlasting rivers
curling around mountains like autumn clouds?
For how long
will you set pace along the isolation of the wandering road?

What is this spot on the blackness of nocturnal clouds?
It is the shadow cast by my heart.
It is the shadow of my heart
crawling on its chest
along the streets wet with tear drops.
O, passers by! O, love-sick creatures,
tread more carefully, more slowly.

All along difficult mountain passes
and in the vastness of deserts bearing famine
there is a heart blowing in every storm, murmuring:
“Where am I? Who am I?
I am an agitated wanderer
in the storm-bearing waters of the ocean;
I am no wave;
I am a mere colourless drop”

Behold how your songs
mingle with the lovers’ blood tonight.
Behold how amidst galaxies
planets move swiftly and with disharmony.
A pain tears the town asunder
and a town throbs with exhaustion
awaiting the explosion of the moments of
patience and silence.

It is a woman’s singing, blowing with the wind.
And on the wire of her voice
settle a flock of sea-gulls.

(Translated from Farsi by Lotfali Khonji)
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits