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{{KKRachna
|रचनाकार=शादाब वज्दी
|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
….एकांत के ख़ालीपन में
मेरी दृष्टि जाती है पुनः
कारुन नदी के किनारों की ओर
नमक के विशाल रेगिस्तान के प्यासे होंठों की ओर ।
अलबोर्ज़ पर्वत की ढलानों के हरे स्वप्न
कैस्पियन सागर की स्वतंत्र लहरों का नीला मंत्रोच्चार
बुलाते हैं अपनी ओर ।
या, अल्लाह !
मेरा आधा भाग है वहाँ
और दूसरा आधा
भटक रहा रास्ते में ।
कौन है फिर यह जो है यहाँ
इतना बेचैन, इतना चुप ?
एक और दिन
डूब जाता है रात्रि की कालिमा के नीचे ।
'''अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता लोतफ़ाली ख़ोन्जी के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Shadab Vajdi
Yet Another Day
….in the emptiness of solitude
my gaze flies once again
towards the banks of Karoon
towards the thirsty lips of the Great Salt Desert.
The green dreams of Alborz mountain-slopes
the blue chants of the free waves of the Caspian Sea
summon me towards them.
Yes; I can see them, I can hear them.
Oh, God!
Half of me is over there
and another half
wandering along the way.
Who is it that is here then
so restless, so silent?
Yet another day
sinks beneath the darkness of night.
(Translated from Farsi by Lotfali Khonji)
</poem>
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|अनुवादक=श्रीविलास सिंह
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….एकांत के ख़ालीपन में
मेरी दृष्टि जाती है पुनः
कारुन नदी के किनारों की ओर
नमक के विशाल रेगिस्तान के प्यासे होंठों की ओर ।
अलबोर्ज़ पर्वत की ढलानों के हरे स्वप्न
कैस्पियन सागर की स्वतंत्र लहरों का नीला मंत्रोच्चार
बुलाते हैं अपनी ओर ।
या, अल्लाह !
मेरा आधा भाग है वहाँ
और दूसरा आधा
भटक रहा रास्ते में ।
कौन है फिर यह जो है यहाँ
इतना बेचैन, इतना चुप ?
एक और दिन
डूब जाता है रात्रि की कालिमा के नीचे ।
'''अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह'''
'''लीजिए, अब यही कविता लोतफ़ाली ख़ोन्जी के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Shadab Vajdi
Yet Another Day
….in the emptiness of solitude
my gaze flies once again
towards the banks of Karoon
towards the thirsty lips of the Great Salt Desert.
The green dreams of Alborz mountain-slopes
the blue chants of the free waves of the Caspian Sea
summon me towards them.
Yes; I can see them, I can hear them.
Oh, God!
Half of me is over there
and another half
wandering along the way.
Who is it that is here then
so restless, so silent?
Yet another day
sinks beneath the darkness of night.
(Translated from Farsi by Lotfali Khonji)
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