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{{KKRachna
|रचनाकार=राम सेंगर
|अनुवादक=
|संग्रह=बची एक लोहार की / राम सेंगर
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
मार डालेंगे तुझे ये
मार डालेंगे ।
ये मसीहा हैं
नयी रौ के
फौज़ इनके साथ बहुमत की ।
रौंद देंगे
दर्प के घोड़े
फ़िक्र इनको कहाँ पत-गत की ।
बीर तू
दुम बन
नकेल नहीं
चीर डालेंगे तुझे ये
फार डालेंगे ।
होंठ सींले
आग ठण्डी कर
बुद्धि में कूड़ा जमा करले ।
कौन कुत्ते का
मगज़ खाऐ
तर्क में बेचारग़ी भरले ।
तू अकेला है
यही सच है
घेर कर
सारा ज़ुनून उतार डालेंगे ।
मार डालेंगे तुझे ये
मार डालेंगे ।
</poem>
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|रचनाकार=राम सेंगर
|अनुवादक=
|संग्रह=बची एक लोहार की / राम सेंगर
}}
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मार डालेंगे तुझे ये
मार डालेंगे ।
ये मसीहा हैं
नयी रौ के
फौज़ इनके साथ बहुमत की ।
रौंद देंगे
दर्प के घोड़े
फ़िक्र इनको कहाँ पत-गत की ।
बीर तू
दुम बन
नकेल नहीं
चीर डालेंगे तुझे ये
फार डालेंगे ।
होंठ सींले
आग ठण्डी कर
बुद्धि में कूड़ा जमा करले ।
कौन कुत्ते का
मगज़ खाऐ
तर्क में बेचारग़ी भरले ।
तू अकेला है
यही सच है
घेर कर
सारा ज़ुनून उतार डालेंगे ।
मार डालेंगे तुझे ये
मार डालेंगे ।
</poem>