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{{KKRachna
|रचनाकार=राम सेंगर
|अनुवादक=
|संग्रह=बची एक लोहार की / राम सेंगर
}}
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<poem>
हार-जीत
अपमानों
बदलों की क्रूरता —
प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों के खेल ।
कौन लकड़बग्घा
या लोमड़ी
फन के हैं दोनों उस्ताद ।
कलापक्ष-भावपक्ष क्या करें
दोनों के दोनों अपवाद ।
चौलंग ही
दशा-दिशा-बुद्धि के ढिढोरे हैं
किए-धरे की रेलमपेल ।
हार-जीत
अपमानों
बदलों की क्रूरता —
प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों के खेल ।
</poem>
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हार-जीत
अपमानों
बदलों की क्रूरता —
प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों के खेल ।
कौन लकड़बग्घा
या लोमड़ी
फन के हैं दोनों उस्ताद ।
कलापक्ष-भावपक्ष क्या करें
दोनों के दोनों अपवाद ।
चौलंग ही
दशा-दिशा-बुद्धि के ढिढोरे हैं
किए-धरे की रेलमपेल ।
हार-जीत
अपमानों
बदलों की क्रूरता —
प्रश्नों-प्रतिप्रश्नों के खेल ।
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