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सुनो भाई ! / राम सेंगर

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|संग्रह=रेत की व्यथा-कथा / राम सेंगर
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<poem>
सुनो भाई ,
तुम कहो सो ठीक
लो, हम, कीच को कहते मलाई !

तुम्हीं खाओ,
हमें सेहतमंद और गरिष्ठ चीज़ें
हज़म करने में
बड़ी तकलीफ़ होती है ।
दाल-रोटी के पले को
स्वाद का चस्का न डालें
हैसियत भरमा न जाए
बहुत छोटी है ।

आपके सद्भाव की तकनीक
भीतर कहाँ रोपें ,
भूमि तक हमको न मन की
दे दिखाई !

सुनो भाई ,
तुम कहो सो ठीक
लो, हम, कीच को कहते मलाई ।
</poem>
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