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कोई मजबूर है अपनी शराफत से
घटाओं ने परों को कर दिया गिलागीला
बहुत डर कर परिंदों के बग़ावत से
मुवक्किल हो गए बेघर लड़ाई में
वकीलों ने बनाए घर वकालत मेंसे
किसी ने प्यार से क्या क्या नहीं पाया
किसी ने क्या क्या नहीं खोया अदावत से
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