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तुम्हारी चाल पर उसका असर है
जब तुम धरती को दो इंच नीचे धँसाते हुए क़दम रखते हो
और महसूस करते हो ख़ुद को धरती से दो फ़ुट ऊपर
तो तुम्हारी देह की भौतिकी में
ज़मींदारी और पवित्र महान ब्राह्मण होने का दम्भ
झुनझुने की तरह बजता है
जिससे मुझे मेरे पुरखों की चीख़ें सुनाई पड़ती हैं

तुम्हारी जुबान पर बैठा हुआ
तुम्हारे पूर्वजों के दुराचार का स्वाद
तुम्हारी भाषा को लिजलिजी और मौक़ापरस्त बनाता है
तुम्हारी जाति ही है दोस्त
तुम्हारी त्वचा पर भभूत की तरह चिपकी हुई
जो तुम्हें बहुत अश्लील बनाती है

तुम सच को सच की तरह नहीं कह पाते
नहीं कह पाते झूठ को झूठ की तरह
तो यह साहस की कमी का मसअला नहीं है दोस्त
तुम्हारी जाति ही है
जो हर बार आड़े आ जाती है

इसमें तुम्हारा कसूर नहीं है
यदि तुम इस सदी के सबसे ख़ूँख़ार हत्यारे को
करुणा से सराबोर देखकर रो देते हो
और एक सामान्य सा तर्क नहीं कर पाते हो कि
सभ्यता की जिन लाशों पर चढ़कर उसने कुर्सी पाई है
उसे उनकी याद भी आती है या नहीं
तुम्हारी जाति ही है दोस्त
जो तुम्हें इस तरह सोचने से रोक देती है
और तुम्हें उस महान हत्यारे के पक्ष में ला खड़ा कर देती है

तुम्हारी जाति ही है कि
धन्ना धोबी और मुसहर की लड़की को स्कूल जाते देख
तुम चिन्तित, दुखी और उदास होकर हँसते हो
या न्याय, समानता और अधिकारों की बात करते चमार कवि से
उसकी हर बात पर खीझते हो
आक्रोश की भाषा को वैदिक व्याकरण से ख़ारिज करते हो
और किसी लड़ाके को देख
मुस्कुराते हो स्खलित व्यंग्य की मुद्रा में

यह अनायास नहीं है कि तुम्हें अपनी ही जाति में प्रेम होता है
भावना की अतल सतह पर जमी हुई काई-सी
यह तुम्हारी जाति ही है, दोस्त
पर तुम मनुष्य होना चुन सकते थे
और ऐसा करने वाले तुम पहले या आख़िरी व्यक्ति भी नहीं होते
पर गलीज़ सच्चाई है, दोस्त

मेमने के ख़ून का स्वाद चख चुका भेड़िया
मेमने की चीख़ के पक्ष में हर तर्क पर हँसता है
बस, यही तुम्हारी हँसी
और मेमने की गुर्राहट पर
अपने पुरखों की अमानुषिक महानता के पक्ष में लाए गए हज़ार तर्क
तुम्हें मनुष्य होने से रोक देते हैं

तुम्हारी जाति, तुम्हारी जाति ही है दोस्त
जो तुम्हें बार-बार मनुष्य होने से रोक लेती है ।
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