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स्वांग / राम सेंगर

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तंत्रबुद्धि का हेकड़ ज़लवा जलवा
भावुकता के स्वांग ।
खोज रहे मरुथल में झरना
बिना तेल के जले कढ़ाही
उन्हें पड़ी गीली पगड़ी की
शोध-तमाशे में है रोटी,मची तबाही
चारण-चौकीदार महल के
छान रहे हैं भांग ।
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