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<poem>
ख़ाली जंगल में
सबसे ऊपरी शाखा पर, उभरी हुई बड़ी आँखें
सर्दियों की रात में से
निथरते
ख़ालीपन को देखती हैं ।
इसके कानों में पिछले सभी मौसमों की आवाज़े संरक्षित हैं,
यहाँ तक कि आपका थोड़ा सा संकेत भी, जल्द ही यह जाग जाएगा अलख
जंगल को जीवित करने
आख़िरी उल्लू इल्ली की किह - किह साधता मर गया !
प्रकृति की भारी शून्यता को इससे अधिक कोई नहीं देख सकता ।
इसके बजाय, कामुक सुख यहाँ और अभी व्याप्त है ।
माया महाठगिनी हम जानें ! साधो, देखो जग बौराना।
रात का दार्शनिक ही रात के अन्धे सुराख़ से ताक - झांक सकता है
हुहूऽऽऽऽ हुहूऽऽऽ हूहूऽऽ

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकीर्ति'''

'''लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Eunsim Lee
Owl
In the empty forest
On the utmost bough, the protruding big eyes see the emptiness through winter night
In its ears, there are preserved noises of all season past away, even your little indication, soon it will wake that the forest is alive.
The last Owl perished away by developing sound of caterpillar
None can see the heavy emptiness in nature more.
Instead, sensual pleasure pervasive here and now. Concern and desire of material matter increasing. Rapid age
The philosopher of night, owl is seeing the absurdity of corrupted society through.
Hoot! Hoot !
Owl cry
With a critical voice
</poem>
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