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{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
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<poem>
ओ समय ! तू उतर आया है, हाथापाई पर मेरे साथ
निन्दा और तिरस्कार की, लड़ाई पर लगा कर घात
कलंकित कर रहा तू मुझको, बीते कल की भूलों पर
मायाजाल को ढहा रहा, मैं बैठा था भ्रम के शूलों पर
कौन जानता था कि सच, इतना कमज़ोर औ’ बोदा होगा
हँस ले चाहे, अब तू जितना, दे सज़ा, उससे क्या होगा
भई, मैंने भूलें कीं वहीं वहीं, जहाँ जहाँ तूने की ग़लती
अब दोहरा रहा हूँ तेरे शब्द, सब भूलें थीं वो अन्तरवर्ती
1964
'''रूसी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए, अब यही कविता लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Rasul Gamzatov
O Time, you pursue me with legions of terrors...
O Time, you pursue me with legions of terrors
With painful disclosure, disfavour, dismay;
Today you denounce me for Yesterday's errors
And smash my delusions like castles of clay.
Who knew that old truths were so easily shaken?
Then why do you laugh at me, why such unkindness?
I erred in the things in which you were mistaken,
Repeating your words in my rapturous blindness!
1964
Translated by Louis Zelikoff
'''लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए'''
Расул Гамзатов
Ты, время, вступаешь со мной врукопашную...
Ты, время, вступаешь со мной врукопашную,
Пытаешь прозреньем, караешь презреньем,
Сегодня клеймишь за ошибки вчерашние
И крепости рушишь — мои заблужденья.
Кто знал, что окажутся истины зыбкими?
Чего же смеешься ты, мстя и карая?
Ведь я ошибался твоими ошибками,
Восторженно слово твое повторяя!
1964
</poem>
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|अनुवादक=अनिल जनविजय
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<poem>
ओ समय ! तू उतर आया है, हाथापाई पर मेरे साथ
निन्दा और तिरस्कार की, लड़ाई पर लगा कर घात
कलंकित कर रहा तू मुझको, बीते कल की भूलों पर
मायाजाल को ढहा रहा, मैं बैठा था भ्रम के शूलों पर
कौन जानता था कि सच, इतना कमज़ोर औ’ बोदा होगा
हँस ले चाहे, अब तू जितना, दे सज़ा, उससे क्या होगा
भई, मैंने भूलें कीं वहीं वहीं, जहाँ जहाँ तूने की ग़लती
अब दोहरा रहा हूँ तेरे शब्द, सब भूलें थीं वो अन्तरवर्ती
1964
'''रूसी भाषा से हिन्दी में अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए, अब यही कविता लुई ज़ेलिकॉफ़ के अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
Rasul Gamzatov
O Time, you pursue me with legions of terrors...
O Time, you pursue me with legions of terrors
With painful disclosure, disfavour, dismay;
Today you denounce me for Yesterday's errors
And smash my delusions like castles of clay.
Who knew that old truths were so easily shaken?
Then why do you laugh at me, why such unkindness?
I erred in the things in which you were mistaken,
Repeating your words in my rapturous blindness!
1964
Translated by Louis Zelikoff
'''लीजिए, अब यही कविता रूसी अनुवाद में पढ़िए'''
Расул Гамзатов
Ты, время, вступаешь со мной врукопашную...
Ты, время, вступаешь со мной врукопашную,
Пытаешь прозреньем, караешь презреньем,
Сегодня клеймишь за ошибки вчерашние
И крепости рушишь — мои заблужденья.
Кто знал, что окажутся истины зыбкими?
Чего же смеешься ты, мстя и карая?
Ведь я ошибался твоими ошибками,
Восторженно слово твое повторяя!
1964
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