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|रचनाकार=केशव तिवारी
|अनुवादक=
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}}
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<poem>
फल डाल में अच्छे लगते हैं
गड़रिये रेवड़ के पास
नाव नदी के बीचों - बीच
और कवि कविता से कुछ दूर
थोड़ा दिखता, थोड़ा ओझल
</poem>
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फल डाल में अच्छे लगते हैं
गड़रिये रेवड़ के पास
नाव नदी के बीचों - बीच
और कवि कविता से कुछ दूर
थोड़ा दिखता, थोड़ा ओझल
</poem>