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<poem>
महान 
लोग हैं 
होने की  इच्छाएं हैं 

मुझ में  भी 
तुम में  भी 

पर  होना नहीं चाहिए 

कुछ  है भी नहीं 
महानता जैसा 

लोगों को 
तरह-तरह से 
छोटा  करते जाने वाले 
समाज में 
कुंठजनित 
टोपियां हैं  यह

क्षण भर को 
कैसी जंचती हैं 
उदासियों के  साम्राज्य में...।
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