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08:53, 20 नवम्बर 2008 अब नही उनसे यारी रख<br />
अपनी लडाई जारी रख<br />
भूख गरीबी के मसले पे<br />
अब इक पत्थर भारी रख<br />
कवि मंचों पर बने विदूषक<br />
उनके नाम मदारी रख<br />
भीड़ भाड़ में खो मत जाना<br />
अपनी अलग चिन्हारी रख <br />