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|जीवनी=[[बसंत देशमुख / परिचय]]
}}
 
देखकर माहौल घबराए हुए हैं<br />
इस शहर में हम नए आए हुए हैं<br />
 
बोल दे तो आग लग जाए घरों में<br />
दिल में ऐसे राज़ दफनाये हुए हैं<br />
 
रौशनी कि खोज में मिलता अँधेरा<br />
हम हजारों बार आजमाए हुए हैं<br />
 
दिन में वे मूरत बने इंसानियत के<br />
रात में हैवान के साए हुए हैं<br />
 
दो ध्रुवों का फर्क है क्यों आचरण में<br />
एक ही जब कोख के जाए हुए हैं<br />