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तू ही घोसला तू ही है शजर तू चमन मेरा तू ही आसमाँ,
तुझे छोड़ के जो कभी उड़ा मेरे पर गिरेंगे यहीं कहीं।
मुझे मेघ नभ का बना दिया कभी धूप ने तो है वायदा,
मेरे अंश लौट के आएँगें औ’ बरस पड़ेंगे यहीं कहीं।
मुझे मेघ नभ का बना दिया कभी धूप ने तो वचन है ये,मेरे अंश लौट के आएँगें जो बरस पड़ेंगे यहीं कहीं। कोई दोजखों दोज़खों में जला करे कोई जन्नतों में घुटा करे,
जिन्हें प्यार है मेरे देश से वो सदा उगेंगे यहीं कहीं।
</poem>
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