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Kavita Kosh से
सपाट गर लिलार हो तो हो रहे तो हो रहे।
बस एक दीप चाहिए बना रहे जो राहबर,
घना जो अंधकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे।
कोई युगावतार हो तो हो रहे तो हो रहे।
लगाइए निराइए फ़सल जहाँ में फ़स्ल प्यार की,
भविष्य में तुषार हो तो हो रहे तो हो रहे।
विजय समय की बात है जो मित्र मेरे साथ हों,
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