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अच्छे बच्चे सब खाते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
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07:31, 26 फ़रवरी 2024
<poem>
अच्छे बच्चे सब खाते हैं।
कहकर
कह कर
जूठन पकड़ाते हैं।
कर्मों से दिल छलनी कर वो,
जीवन मेले में सच रोता,
चल
उसको
उस को
गोदी लाते हैं।
कैसे समझाऊँ आँखों को,
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