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Kavita Kosh से
<poem>
अच्छे बच्चे सब खाते हैं।
कर्मों से दिल छलनी कर वो,
जीवन मेले में सच रोता,
चल उसको उस को गोदी लाते हैं।
कैसे समझाऊँ आँखों को,