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याँ जो बंदे जहीन होते हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
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26 फ़रवरी
{{KKCatGhazal}}
<poem>
याँ
क्यूँ
जो बंदे ज़हीन होते हैं।
क्यूँ वो अकसर
वही अक्सर
मशीन होते हैं।
बीतना चाहते हैं कुछ लम्हे,
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