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|रचनाकार=विनय सौरभ
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|संग्रह=
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<poem>
कुछ लोग हमारे पड़ोसी भी थे
और हम भी थे किसी के पड़ोसी
अब जाकर यह ल आता है !
“पड़ोसियों को कह कर आए हैं
दो-चार दिन घर देख लेना ”
यह वाक्य कहे- सुने अब एक अरसा हुआ है !
एक बच्चे को देखता हूं पड़ोस में
दस- ग्यारह का होगा
पता चला सुकांत का नाती है
सुकांत से मुलाक़ात के बरसों हुए
इंटर में था जब शादी हुई थी उसकी
इस तरह उसका नाना हो जाना लाज़िम था
लेकिन मैं अफ़सोस में था कि
सुकांत के जीवन के बारे में मुझे कितना कम पता था
जो हमारा पड़ोसी था और हमसे तीन क्लास आगे था स्कूल में
पड़ोसियों से उस रिश्ते को याद कीजिए
जब बनी हुई सब्जियां और दाल तक आती थीं
एक – दूसरे घरों में
हथौड़ी कुदाल कुँए से बाल्टी निकालने वाला
लोहे का कांटा, दतुवन, नमक, हल्दी, सलाई
एक दूसरे से ले- देकर लोगों ने निभाया है
लंबे समय तक पड़ोसी होने का धर्म
हालांकि चीजों को दे देते हुए तब भी लोग कुढ़ते बहुत थे
जब कुछ ही दिनों में कोई एक ही चीज
फिर- फिर मांगने आ धमकता था
यह भुनभुनाते हुए कि
“कंजूस है साला !
इतनी छोटी चीज खरीदने में जाने क्या जाता है!”
लेकिन वह रवायत थी और किसी
भरोसे से ही क़ायम रही होगी !
धीरे-धीरे लोगों ने समेटना कब शुरू कर दिया ख़ुद को,
यह ठीक-ठीक याद नहीं आता
अब इन चीज़ों के लिए कोई पड़ोसियों के पास नहीं जाता
याद में शादी ब्याह का वह दौर भी कौतूहल से भर देता है
जब पड़ोसियों से ही नहीं पूरे गांव से
कुर्सियां और लकड़ी की चौकियाँ तक
बारातियों के लिए जुटाई जाती थीं
और लोग सौपते हुए कहते थे-
बस जरा एहितियात से ले जाइएगा!
बस अब इस नयी जीवन शैली में
हमें पड़ोसियों बारे में कुछ पता नहीं होता
कैसी है उनकी दिनचर्या और उनके बच्चे कहां पढ़ते हैं ?
वह स्त्री जो बीमार-सी दिखती है, उसे हुआ क्या है ?
किसके जीवन में क्या चल रहा है ?
कौन कितनी मुश्किलों में है?
आमंत्रण कार्ड आने से पहले नहीं जान पाते कि
लड़की या लड़के की शादी कहाँ तय हुई ?
अपार्टमेंट के किसी फ्लैट में अकेली औरत मर जाती है
एक चर्चित कवि को हो जाता है ब्रेन हेमरेज
और देर से दुनिया को पता चलता है
मृत पाया जाता है कमरे मे दुनिया भर की ख़बर देने वाला
अकेला रह रहा एक पत्रकार
रोज ही आती है आत्महत्या की खबरें अकेले रहते
किसी आदमी या औरत की !
ये सब किसी के पड़ोसी ही रहे होंगे!
हमने एक ऐसी दुनिया रची है
जिसमें खत्म होता जा रहा है हमारा पड़ोस
पार्टियां होती हैं -लोग आते हैं दोस्त आते हैं
पड़ोसी नहीं आते !
उनसे अब ज्यादातर अबोला ही रहता है हमारा !
खिड़कियों से आधी रात आवाज़ देते ही
कोई अगर आज भी भागता हुआ आता है तो
यक़ीन करो वह एक शानदार मनुष्य है
और तुम भाग्यशाली हो कि वह तुम्हारे पड़ोस में है
और मन होता है, जाते- जाते पूछ ही लूँ कि
क्या हमसब एक अच्छे पड़ोसी हैं ?
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कुछ लोग हमारे पड़ोसी भी थे
और हम भी थे किसी के पड़ोसी
अब जाकर यह ल आता है !
“पड़ोसियों को कह कर आए हैं
दो-चार दिन घर देख लेना ”
यह वाक्य कहे- सुने अब एक अरसा हुआ है !
एक बच्चे को देखता हूं पड़ोस में
दस- ग्यारह का होगा
पता चला सुकांत का नाती है
सुकांत से मुलाक़ात के बरसों हुए
इंटर में था जब शादी हुई थी उसकी
इस तरह उसका नाना हो जाना लाज़िम था
लेकिन मैं अफ़सोस में था कि
सुकांत के जीवन के बारे में मुझे कितना कम पता था
जो हमारा पड़ोसी था और हमसे तीन क्लास आगे था स्कूल में
पड़ोसियों से उस रिश्ते को याद कीजिए
जब बनी हुई सब्जियां और दाल तक आती थीं
एक – दूसरे घरों में
हथौड़ी कुदाल कुँए से बाल्टी निकालने वाला
लोहे का कांटा, दतुवन, नमक, हल्दी, सलाई
एक दूसरे से ले- देकर लोगों ने निभाया है
लंबे समय तक पड़ोसी होने का धर्म
हालांकि चीजों को दे देते हुए तब भी लोग कुढ़ते बहुत थे
जब कुछ ही दिनों में कोई एक ही चीज
फिर- फिर मांगने आ धमकता था
यह भुनभुनाते हुए कि
“कंजूस है साला !
इतनी छोटी चीज खरीदने में जाने क्या जाता है!”
लेकिन वह रवायत थी और किसी
भरोसे से ही क़ायम रही होगी !
धीरे-धीरे लोगों ने समेटना कब शुरू कर दिया ख़ुद को,
यह ठीक-ठीक याद नहीं आता
अब इन चीज़ों के लिए कोई पड़ोसियों के पास नहीं जाता
याद में शादी ब्याह का वह दौर भी कौतूहल से भर देता है
जब पड़ोसियों से ही नहीं पूरे गांव से
कुर्सियां और लकड़ी की चौकियाँ तक
बारातियों के लिए जुटाई जाती थीं
और लोग सौपते हुए कहते थे-
बस जरा एहितियात से ले जाइएगा!
बस अब इस नयी जीवन शैली में
हमें पड़ोसियों बारे में कुछ पता नहीं होता
कैसी है उनकी दिनचर्या और उनके बच्चे कहां पढ़ते हैं ?
वह स्त्री जो बीमार-सी दिखती है, उसे हुआ क्या है ?
किसके जीवन में क्या चल रहा है ?
कौन कितनी मुश्किलों में है?
आमंत्रण कार्ड आने से पहले नहीं जान पाते कि
लड़की या लड़के की शादी कहाँ तय हुई ?
अपार्टमेंट के किसी फ्लैट में अकेली औरत मर जाती है
एक चर्चित कवि को हो जाता है ब्रेन हेमरेज
और देर से दुनिया को पता चलता है
मृत पाया जाता है कमरे मे दुनिया भर की ख़बर देने वाला
अकेला रह रहा एक पत्रकार
रोज ही आती है आत्महत्या की खबरें अकेले रहते
किसी आदमी या औरत की !
ये सब किसी के पड़ोसी ही रहे होंगे!
हमने एक ऐसी दुनिया रची है
जिसमें खत्म होता जा रहा है हमारा पड़ोस
पार्टियां होती हैं -लोग आते हैं दोस्त आते हैं
पड़ोसी नहीं आते !
उनसे अब ज्यादातर अबोला ही रहता है हमारा !
खिड़कियों से आधी रात आवाज़ देते ही
कोई अगर आज भी भागता हुआ आता है तो
यक़ीन करो वह एक शानदार मनुष्य है
और तुम भाग्यशाली हो कि वह तुम्हारे पड़ोस में है
और मन होता है, जाते- जाते पूछ ही लूँ कि
क्या हमसब एक अच्छे पड़ोसी हैं ?
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