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|रचनाकार=हिओकोन्दो बैल्ली
|अनुवादक=यादवेन्द्र
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<poem>
जिन जिन ने भी की
भविष्यवाणी
सबने कहा — दुनिया नष्ट होने जा रही है ।

सभी भविष्यवेत्ता इस पर एकमत रहे
कि इनसान
ख़ुद के विनाश का फ़रमान
निरन्तर लिख रहा है ।

पर समय और जीवन दोनों ही
खिल - खिल उठे
हर नए दिन के साथ
अनगिनत मौक़ों पर
वह भी दुगुने जोश के साथ

इतना ही नहीं,
उन्होंने जन्म भी दिया प्रेमियों को
और सपने संजोने वाली पीढ़ियों को

पुरुष और स्त्री
जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा
कि कभी नष्ट हो जाए
उनकी यह ख़ूबसूरत दुनिया

बल्कि देखे
खूबसूरत सपने
कहीं ज़्यादा बेहतर दुनिया के
जिसमें निश्चिन्त और बेखौफ़ घूमती हों
तितलियाँ और बुलबुलें....
</poem>
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