भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<Poem>
अब नही उनसे यारी रख<br />अपनी लडाई जारी रख<br />
भूख ग़रीबी के मसले पे<br />अब इक पत्थर भारी रख<br />
कवि मंचों पर बने विदूषक<br />उनके नाम मदारी रख<br />
भीड़-भाड़ में खो मत जाना<br />अपनी अलग चिन्हारी रख <br />
</poem>