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Kavita Kosh से
लेकिन मैं पूरी तरह से शान्त रहता हूँ
बल्कि मैं तो कहूँगा कि मैं शान्त स्वभाव का हूँ
मैं अपनी पीड़ा को छुपा लूँगालेता हूँऔर फिर छत की ओर मुँह करके लेट जाऊँगाजाता हूँ
जो ख़बरों को चुनने के लिए और उन पर विश्वास करने के लिए
एक बेहतरीन और आरामदायक अवस्था है
कौन जानता है कि मैं कहाँ रहूँगा आनेवाले समय में
और मेरी कहानी की कहाँ तक पहुँचेगीकौन जानता है कि मैं क्या -क्या सलाहें दूँगा ?और ख़ुद ही उनको न मानने के लिए कौन-कौन से आसान तरीके ढूँढ़ूँगा ?
हाँ, ठीक है, मैं पीछे नहीं हटूँगा
अपनी स्मृतिलोप की बीमारी से बचने के लिए अपनी यादों को नहीं गुदवाऊँगा
अभी बहुत कुछ कहना है और चुप भी रहना है
हमारा मुँह भरने के लिये लिए तो अंगूर ही काफ़ी हैं
ठीक है, मुझे पूरा यक़ीन है
आनन्द को मेरी खिड़की पर
और कंकड़ मारने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी
मैं खिड़की खोल दूँगालूँगा मैं खिड़की खोल लूँगा दूँगा ।
2003