भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वैभव भारतीय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वैभव भारतीय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अरे बुद्ध!
क्या करते हो तुम?
क्यों दु: खों से लड़ते हो तुम?
दु: ख नहीं ये पैमाना है
दुनिया का ताना बना है
नाप अगर जो लेने बैठो
सब तुच्छ नज़र आ जाएगा
इक शुद्ध दुःख के आगे तो
सुख का पर्वत ढह जाएगा।
क्यों हाय-हाय करती दुनिया
क्यों ख़ुशियों पर मरती दुनिया
क्या दुःख क्या सुख क्या सुख क्या दुःख
क्या हानि-लाभ क्या पाप-पुण्य
सब कुछ ही एक छलावा है
सुख का इक छोटा तिनका भी
दुखों का एक बुलावा है।

है वाणी पच्चीस शरदों की
जो घनीभूत होकर कहती
ये अनुभव का आवेग लिए
बस तथ्यों की गठरी भरती
ये व्रत-नेम ये योग-क्षेम
सब गर्भित दुख के बच्चे हैं
सब घट रीते सब सुख झूठे
केवल एक दुख ही अच्छे हैं।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
15,997
edits