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सुकून / वैभव भारतीय

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<poem>
खुला समन्दर तरलती नदियाँ
धरा ग़ज़ब आसमां ग़ज़ब है,
बंधा हिमालय उफनती लहरें
ग़ज़ब का सुर फ़लसफ़ा ग़ज़ब है,
इन्ही धुँधलकों में रहके जाना
बला का मनहर सुकून हैं ये,
दिलों की दिल्ली कशों की काशी
ख़ुदा का ख़ुद तर्ज़ुमा ग़ज़ब है।
</poem>
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