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<poem>
यदि आँजना पड़े काजल मुझे तुम्हारे लिए
यदि रंगने पड़ें केश मुझे तुम्हारे लिए
देह पर लगाना पड़े इत्र
यदि पहननी पड़े सबसे सुन्दर साड़ी

तुम देखोगे, सिर्फ इसलिए

माला-चूड़ी पहन सजना पड़े
यदि थुलथुले पेट, गले और आँख के नीचे की झुर्रियों को
ढँकना पड़े क़ायदे से

तब तुम्हारे साथ
और कुछ हो तो हो
प्रेम नहीं है ।

प्रेम होने पर मेरा जो कुछ भी है
उल्टा-सीधा, सुन्दर-असुन्दर, कमी-बेशी
थोड़ी बहुत भूल, थोड़े असौन्दर्य के साथ
जब खड़ी होऊँगी सामने तुम्हारे
तुम मुझे करोगे
प्यार ।

'''मूल बंगला भाषा से अनुवाद : गरिमा श्रीवास्तव'''
</poem>
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