भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धर्वेन्द्र सिंह बेदार |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धर्वेन्द्र सिंह बेदार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हम ख़फ़ा हैं बेवफ़ाई के तेरे इल्ज़ाम से
हो गई ज़ालिम हमें नफ़रत वफ़ा के नाम से

रात आधी हो गई नींदों में दुनिया खो गई
जागते हैं दिल-जले और पी रहे हैं शाम से

अब पियाला ज़हर का हम दिल-जलों को तू पिला
प्यास अब बुझती नहीं साक़ी हमारी जाम से

ज़ख़्म दिल के हो गए हैं ला-दवा चारागरो
ज़ख़्म ये भरने नहीं अब रोग़न-ए-बादाम से

क्या करेंगे वह मुहब्बत हुस्न वालों से यहाँ
आशिक़ी में डर गए 'बेदार' जो अंजाम से
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
16,017
edits