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|संग्रह=धूप की लहरें / गोपीकृष्ण 'गोपेश'
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<poem>
मेरे गीतों को गाओ तो !

जो सुख तुमसे सब दिन रूठा,
जो कभी न सपनों में आया,
जिसको तुम पर हँसना भाया,
वह नौ-नौ आँसू रोएगा,
वीणा पर हाथ चलाओ तो !
मेरे गीतों को गाओ तो ! !

जिस छवि को तुमने प्यार किया,
इस पार किया, उस पार किया,
उसने ऐसा व्यवहार किया,
वह तो पानी - पानी होगी,
तुम राग ’विहाग’ सुनाओ तो !
मेरे गीतों को गाओ तो !

मेरे गीतों में घुले - मिले,
कितने पावस, कितने सावन,
कितने जीवन, कितने यौवन !
श्वासों को हृदय लगाना है,
श्वासों से होड़ लगाओ तो !
मेरे गीतों को गाओ तो !
</poem>
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