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{{KKRachna
|रचनाकार=सुरजीत पातर
|अनुवादक=
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}}
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<poem>
एक सुलगता सफ़ा लिखना
दुखदायी है नाम तेरा
ख़ुद से जुदा लिखना
सीने में सुलगता है
यह गीत ज़रा लिखना
वरक जल जाएँगे
क़िस्सा न मिरा लिखना
सागर की लहरों पे
मेरे थल का पता लिखना
एक ज़र्द सफ़े पर
कोई हर्फ़ हरा लिखना
मरमर के बुतों को
आख़िर तो हवा लिखना
</poem>
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एक सुलगता सफ़ा लिखना
दुखदायी है नाम तेरा
ख़ुद से जुदा लिखना
सीने में सुलगता है
यह गीत ज़रा लिखना
वरक जल जाएँगे
क़िस्सा न मिरा लिखना
सागर की लहरों पे
मेरे थल का पता लिखना
एक ज़र्द सफ़े पर
कोई हर्फ़ हरा लिखना
मरमर के बुतों को
आख़िर तो हवा लिखना
</poem>