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|चित्र=
|नाम=हुआन रमोन हिमेने
|उपनाम=
|जन्म=23 दिसम्बर 1881
|जन्मस्थान=मोगेर, अन्दालूसियाम स्पेन
|मृत्यु=29 मई 1958
|कृतियाँ=
|विविध=बचपन से ही कल्पनाशील और स्वप्नदर्शी हुआन की दुनिया सौन्दर्य और दूरबीन पर टिकी थी। हुआन बदसूरती को बर्दाश्त नहीं कर पाते थे और सौन्दर्य पर जान लुटाते थे। मृत्यु के बारे में सुनकर और किसी का भी मृत-शरीर देखकर वे डर जाते थे। 1893 में बारह वर्ष की उम्र में उन्होंने जीसस कॉलेज में दाखिला लिया और पन्द्रह वर्ष की उम्र में हाई स्कूल की शिक्षा पूरी कर ली। इसके बाद वे वकालत करने के लिए सेविले विश्वविद्यालय की लॉ फ़ैकेल्टी में आगे पढ़ाई करने लगे, पर दो साल बाद ही 1898 में वे पढ़ाई बीच में ही अधूरी छोड़कर पूरी तरह से कविता में डूब गए। उसी साल अगस्त में ’एल गातो नेग्रो’ यानी ’काली बिल्ली’ नामक एक पत्रिका में उनकी एक लम्बी कविता प्रकाशित हुई। सन 1900 में उन्हें कवि फ़्रांसिसको विलियाएसपेसोई और कवि रूबेन दारिओ ने मद्रीद आने का निमन्त्रण भेजा, जहाँ उनकी मुलाक़ात स्पानी भाषा के आधुनिकतावादी (माडर्निस्ट) कवियों से करवाई। इसके बाद वे पूरी तरह से स्पेन की माडर्न कवियों की कविताओं में दिलचस्पी लेने लगे। उन्होंने अर्जेण्टीना के कवि लिओपल्दो लोगानेसा, मैक्सिको के कवि अमादो नेरवो और मैनुएल दिआसा रोद्रिगेसा जैसे माड्रनिस्ट कवियों की रचनाओं का विशेष रूप से अध्ययन किया। 03 जुलाई 1900 के दिन अचानक उनके पिता की मृत्यु हो गई। हुआन बेहद आहत हुए क्योंकि पिता से वे गहरे जुड़े हुए थे। कुछ महीनों के बाद ही उन्हें साँस की बीमारी हो गई। वे लगातार ये सोचने लगे थे कि अपने पिता की तरह ही उनका भी देहान्त हो जाएगा। पिता पर बैंक का भारी कर्ज़ लदा था। अदालत के फ़ैसले के बाद बैंक ने उनकी सारी सम्पत्ति कुर्क कर ली। इन घटनाओं के बाद हुआन रमोन हिमेने अवसाद में डूब गए। उन्हें मनोरोगी बताकर पागलख़ाने में डाल दिया गया। धीरे-धीरे पागलख़ाने के डॉक्टर लालन के साथ उनकी घनिष्ठता हो गई और उन्होंने डॉक्टर के घर आना-जाना शुरू कर दिया। हुआन हिमेने को डॉक्टर की बिटिया मार्ता से प्रेम हो गया। मार्ता के लिए लिखी अपनी कविताओं में वे उसे फ़्रांसिन के नाम से पुकारते हैं। वहीं डा० लालन की निजी लाइब्रेरी में फ़्रांसीसी प्रतीकवादी कवियों बादलेयर, वेरलेन और मलार्मे की कविताएँ पढ़ीं। जब हुआन मानसिक रूप से थोड़ा स्वस्थ हो गए तो उन्हें मद्रीद के रोज़ारियो सेनिटोरियम में भेज दिया गया। वे सेनिटोरियम में काम करने वाली क़रीब-क़रीब हर नर्स से प्यार करने लगे। अपनी कविताओं में उन्होंने जिन दो नर्सों का बार-बार ज़िक्र किया है, उनके नाम हैं — मरिया दे पिलार दे हेस्सुस और बेली एरनान्देस पीनसन।
|जीवनी=[[हुआन रमोन हिमेने / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Juan Ramón Jiménez
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|gadyakosh=
|copyright=
}}
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
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|जन्म=23 दिसम्बर 1881
|जन्मस्थान=मोगेर, अन्दालूसियाम स्पेन
|मृत्यु=29 मई 1958
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|विविध=बचपन से ही कल्पनाशील और स्वप्नदर्शी हुआन की दुनिया सौन्दर्य और दूरबीन पर टिकी थी। हुआन बदसूरती को बर्दाश्त नहीं कर पाते थे और सौन्दर्य पर जान लुटाते थे। मृत्यु के बारे में सुनकर और किसी का भी मृत-शरीर देखकर वे डर जाते थे। 1893 में बारह वर्ष की उम्र में उन्होंने जीसस कॉलेज में दाखिला लिया और पन्द्रह वर्ष की उम्र में हाई स्कूल की शिक्षा पूरी कर ली। इसके बाद वे वकालत करने के लिए सेविले विश्वविद्यालय की लॉ फ़ैकेल्टी में आगे पढ़ाई करने लगे, पर दो साल बाद ही 1898 में वे पढ़ाई बीच में ही अधूरी छोड़कर पूरी तरह से कविता में डूब गए। उसी साल अगस्त में ’एल गातो नेग्रो’ यानी ’काली बिल्ली’ नामक एक पत्रिका में उनकी एक लम्बी कविता प्रकाशित हुई। सन 1900 में उन्हें कवि फ़्रांसिसको विलियाएसपेसोई और कवि रूबेन दारिओ ने मद्रीद आने का निमन्त्रण भेजा, जहाँ उनकी मुलाक़ात स्पानी भाषा के आधुनिकतावादी (माडर्निस्ट) कवियों से करवाई। इसके बाद वे पूरी तरह से स्पेन की माडर्न कवियों की कविताओं में दिलचस्पी लेने लगे। उन्होंने अर्जेण्टीना के कवि लिओपल्दो लोगानेसा, मैक्सिको के कवि अमादो नेरवो और मैनुएल दिआसा रोद्रिगेसा जैसे माड्रनिस्ट कवियों की रचनाओं का विशेष रूप से अध्ययन किया। 03 जुलाई 1900 के दिन अचानक उनके पिता की मृत्यु हो गई। हुआन बेहद आहत हुए क्योंकि पिता से वे गहरे जुड़े हुए थे। कुछ महीनों के बाद ही उन्हें साँस की बीमारी हो गई। वे लगातार ये सोचने लगे थे कि अपने पिता की तरह ही उनका भी देहान्त हो जाएगा। पिता पर बैंक का भारी कर्ज़ लदा था। अदालत के फ़ैसले के बाद बैंक ने उनकी सारी सम्पत्ति कुर्क कर ली। इन घटनाओं के बाद हुआन रमोन हिमेने अवसाद में डूब गए। उन्हें मनोरोगी बताकर पागलख़ाने में डाल दिया गया। धीरे-धीरे पागलख़ाने के डॉक्टर लालन के साथ उनकी घनिष्ठता हो गई और उन्होंने डॉक्टर के घर आना-जाना शुरू कर दिया। हुआन हिमेने को डॉक्टर की बिटिया मार्ता से प्रेम हो गया। मार्ता के लिए लिखी अपनी कविताओं में वे उसे फ़्रांसिन के नाम से पुकारते हैं। वहीं डा० लालन की निजी लाइब्रेरी में फ़्रांसीसी प्रतीकवादी कवियों बादलेयर, वेरलेन और मलार्मे की कविताएँ पढ़ीं। जब हुआन मानसिक रूप से थोड़ा स्वस्थ हो गए तो उन्हें मद्रीद के रोज़ारियो सेनिटोरियम में भेज दिया गया। वे सेनिटोरियम में काम करने वाली क़रीब-क़रीब हर नर्स से प्यार करने लगे। अपनी कविताओं में उन्होंने जिन दो नर्सों का बार-बार ज़िक्र किया है, उनके नाम हैं — मरिया दे पिलार दे हेस्सुस और बेली एरनान्देस पीनसन।
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|अंग्रेज़ीनाम=Juan Ramón Jiménez
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