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<poem>
वे सब
अहिंसक थे
संयोग से मेरे आदर्श भी ।
जब-जब
साथ बैठते
तो हिंसा पर बहस करते ।
फिर
एक निष्कर्ष तक
पहुँचते ।
उनका निष्कर्ष
कोड़े की तरह
मेरी पीठ पर छप चुका है !
\</poem>
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वे सब
अहिंसक थे
संयोग से मेरे आदर्श भी ।
जब-जब
साथ बैठते
तो हिंसा पर बहस करते ।
फिर
एक निष्कर्ष तक
पहुँचते ।
उनका निष्कर्ष
कोड़े की तरह
मेरी पीठ पर छप चुका है !
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