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|रचनाकार=रोनाल्ड स्टुआर्ट थॉमस
|अनुवादक=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=
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<poem>
बजे नौ सुबह के,
कहा मेरे बेटे ने मुझसे :
कहा उसने --- माँ ,गीली गलियों से ,
छँट गए हैं बादल, निकल आया है सूरज,
टहल रहा है बिना जूतों के गर्म फुटपाथ पर,
कोनों में खड़ी हुई हैं बात मानने वाली लड़कियाँ
उनके दाँत अधिक सफेद हैं, तुम्हारी
सफेद प्लेटों से :
बर्तनों के शोर से अधिक पसन्द है
मुझे उनकी हँसी।
दिन चढ़ रहा है : इससे पहले कि
उसकी चमकती दीवारें दिखने लगें धूल--सी
जाने दो मुझे अकेले । चश्मा वह पहनने को ,
जिसमें हों नहीं दाग रुलाई के ,
पाने को आईने वे ,जो करें नहीं धुँधला मेरे चेहरे को :
जाने दो सुनने शहर की आवाज़ें, गूँजती नसों में मेरी,
करतीं शोर।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल'''

'''अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए'''
R. S. Thomas
Mother and son

At nine o’clock in the morning
My son said to me:
Mother, he said, from the wet streets
The clouds are removed and the sun walks
Without shoes on the warm pavements.
There are girls biddable at the corners
With teeth cleaner than your white plates
The sharp clatter of your dishes
Is less pleasant to me than their laughter.
The day is building; before its bright walls
Fall in dust, let me go
Beyond the front garden without you
To find glasses unstained by tears,
To find mirrors that do not reproach
My smooth face; to hear above the town's
Din life roaring in the veins.
</poem>
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