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{{KKRachna
|रचनाकार=अम्बर रंजना पाण्डेय
|अनुवादक=अम्बर रंजना पाण्डेय
|संग्रह=
}}
<poem>
जब मेरे हाथ तन्दुरुस्त थे, जब वे लगभग पंख का काम देते थे
मैं सोचती थी — सबका ख़ून एक जैसा होता है ।
जब जाँच के लिए ख़ून निकालने को
डॉक्टर ने मोटी, पाइप जैसे सुई निकाली तो मैंने कहा —
“पिता का ख़ून निकालो”।
मेरा ही ख़ून निकाला गया और उस दिन मुझे पता चला
सबके ख़ून अलग अलग हैं ।
किसी का ख़ून सस्ता है — रेलवे स्टेशन पर बह जाए,
तो भी किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।
लोग बहते नल बन्द करने ज़्यादा तेज़ी से दौड़े आते हैं
किसी के ख़ून की एक बूँद भी
दुनिया के सबसे महँगे ज़हर से भी महँगी है
उसकी रक्षा के लिए
सेना के जवान लगे रहते है रात-दिन ।
किसी का ख़ून पानी है, किसी का सफ़ेद
मेरी माँ की नसों में खून नहीं, दूध है
मेरे पिता के खून में शराब ।
हालाँकि मेरा अनुभव बहुत कम है,
मगर मैं आपको बताना चाहती हूँ
कि खून आत्मा से ज़्यादा ज़रूरी है ।
'''मूल पोलिश से अनुवाद : अम्बर रंजना पाण्डेय'''
</poem>
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|अनुवादक=अम्बर रंजना पाण्डेय
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जब मेरे हाथ तन्दुरुस्त थे, जब वे लगभग पंख का काम देते थे
मैं सोचती थी — सबका ख़ून एक जैसा होता है ।
जब जाँच के लिए ख़ून निकालने को
डॉक्टर ने मोटी, पाइप जैसे सुई निकाली तो मैंने कहा —
“पिता का ख़ून निकालो”।
मेरा ही ख़ून निकाला गया और उस दिन मुझे पता चला
सबके ख़ून अलग अलग हैं ।
किसी का ख़ून सस्ता है — रेलवे स्टेशन पर बह जाए,
तो भी किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।
लोग बहते नल बन्द करने ज़्यादा तेज़ी से दौड़े आते हैं
किसी के ख़ून की एक बूँद भी
दुनिया के सबसे महँगे ज़हर से भी महँगी है
उसकी रक्षा के लिए
सेना के जवान लगे रहते है रात-दिन ।
किसी का ख़ून पानी है, किसी का सफ़ेद
मेरी माँ की नसों में खून नहीं, दूध है
मेरे पिता के खून में शराब ।
हालाँकि मेरा अनुभव बहुत कम है,
मगर मैं आपको बताना चाहती हूँ
कि खून आत्मा से ज़्यादा ज़रूरी है ।
'''मूल पोलिश से अनुवाद : अम्बर रंजना पाण्डेय'''
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