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== अखिल अमेरिकन कवि सम्मेलन – “आखों देखा हाल” ==
 
 
रविवार 19 नवंबर को हिन्दी यू.एस.ए. नामक हिन्दी की स्वंयसेवी संस्था द्वारा न्यू जर्सी के रट्गर्स विश्वविद्यालय के डगलस कैम्पस में अपरान्ह 1 बजे कवि सम्मेलन का विधिवत रूप से शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ वॉशिंग्टन डी.सी के भारतीय राजदूतावास का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री अनिल कुमार गुप्ता जी के कर कमलों द्वारा दीप-प्रज्जवलन से हुआ। तत्पश्चात बच्चों द्वारा गणेश एवं सरस्वती वंदना की सात्विक संगीतमय प्रस्तुती की गई।
 
सभागार की सज्जा देखने योग्य थी। मंच पर 3 मेजों तथा 9 कुर्सियाँ आमंत्रित कवि गणों के लिए सजी हुईं थीं। सुंदर फूलदान सफेद मेजपोशों पर शोभा पा रहे थे। मंच के दाहिनी ओर प्रथमपूज्य विध्नहर्ता श्री गणपति जी महाराज की प्रतिमा शोभायमान हो रही थी। प्रतिमा के समक्ष दीप्तवान दीपकों की ज्योति मानो सभी श्रोताओं और दर्शकों को अन्धकार से प्रकाश की ओर चलने का आमंत्रण दे रही थी।
 
मंच के बीचों-बीच पीछे की ओर मध्य में कवि सम्मेलन का बैनर लगा हुआ था। इस बैनर के दोनों ओर भारत का राष्ट्रीय पक्षी स्वागत की मुद्रा में श्रोताओं को आकर्षित कर रहा था।
 
इस सुन्दर सजावट में सबसे अधिक यदि कोई वस्तु आकर्षित कर रही थी तो वह थी तिरंगे पोस्टरों पर लिखी श्री भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी की प्रसिद्ध हिन्दी कविता की पंक्तियाँ साथ ही अमेरिका में जन्मी भारतीय पीढी को हिन्दी ज्ञान देने का सपना। यही सपना तो हिन्दी यू.एस.ए. का उद्देश्य भी है।
श्री देवेन्द्र सिंह जी ने, जो इस संस्था के संस्थापक तथा एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं, ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए बताया कि इस कवि सम्मेलन का उद्देश्य लोगों को हिन्दी भाषा के प्रति जागरुक करना तथा अमेरिका में हिन्दी यू.एस.ए. द्वारा जो हिन्दी का अभियान चलाया जा रह है उससे लोगों को अवगत कराना तथा जोड़ना है। उन्होंने लोगों से हिन्दी का स्वयंसेवक बनने की विनती भी की। इसके बाद उन्होंने सियाटल से पधारे मुख्य कवि श्री अभिनव शुक्ल का संक्षिप्त परिचय दिया तथा कवि सम्मेलन का संचालन उन्हें सौंप दिया।
 
श्री अभिनव शुक्ल ने सर्वप्रथम सभी अतिथि कवियों को बारी-बारी से मंच पर आमंत्रित कर मंच को पूरी तरह से कवि-सम्मेलन के लिए सजा लिया। आमंत्रित कवि एवं कवियत्रियों के नाम इस प्रकार हैं – श्री भैरू सिंह राजपुरोहित जी, श्रीमती रेखा रस्तोगी जी, श्रीमती शोभा वर्मा जी, श्री पंकज जैन जी, श्रीमती बिन्देश्वरी अग्रवाल जी, श्री हरभगवान शर्मा जी, श्री देवेन्द्र पाल सिंह जी, तथा अभिनव शुक्ल जी। इस प्रकार विभिन्न उम्र, रंगों, भावों, विचारों, पीढ़ियों, और मान्यताओं को अपने अंदर समेटे ये कवि जहाँ भरे हुए सभागार को देखकर गदगद हो रहे थे वहीं एक ओर बेचैनी के साथ अपने कविता पाठ की प्रतीक्षा भी कर रहे थे।
 
अभिनव जी ने अपने अनुभव का उपयोग करते हुए अपनी अनुभवी हास्य रचनाओ द्वारा श्रोतओं को अभीभूत किया तथा बातों ही बातों में मंच पर श्री राजपुरोहित जी को बुला लिया। राजपुरोहित जी ने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजली देते हुए अपनी दो रचनाएँ सुनायी। सभागार अब तक खचाखच भर गया था और समय से कवि सम्मेलन प्रारंभ होने के कारण श्रोता और कवि दोनों ही प्रसन्न थे। इसके बाद अभिनव जी ने कुछ चटपटी यादें तथा चुटकुले सुनाए तथा एक गंभीर और वरिष्ट कवियित्री श्रीमती रेखा रस्तोगी को मंच पर आमंत्रित किया। रेखा जी ने एक कविता और गज़ल सुनाई। उसके बाद एक युवा कवियित्री श्रीमती शोभा वर्मा जी मंच पर आईं जिन्होने अपनी व्यंग रचनाओं से श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। इसके बाद एक और युवा कवि जो पहली बार ही मंच पर आए थे, श्री पंकज जैन जी। आपने कविताओं द्वारा श्रोतओं को सन्देश दिया कि अमेरिका को अपनी कर्मभूमि बनाएँ तथा विदेश में रह कर भी अपनी धर्म, संस्कृति, और भाषा के लिए काम करें। इसके बाद हास्य का पिटारा लेकर आए एक हरियाणवी कवि श्री हरभगवान शर्मा जी जिनकी हास्य कवितओं में श्रोता दिल खोलकर हँसे और खूब तालियाँ बजायी।
 
श्री हरभगवान जी की कविता पाठ के बाद मध्यांतर हुआ जिसमें श्री देवेन्द्र सिंह जी ने हिन्दी यू.एस.ए. के स्व्यंसेवी शिक्षकों, स्वयंसेवकों, तथा अन्य गण्यमान व्यक्तियों का परिचय करवाया।
 
सबसे पहले उन्होंने ये बताया कि हिन्दी यू.एस.ए. का मुख्य उद्देश्य अमेरिका के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिन्दी को एक एच्छिक भाषा के रूप में स्थान दिलाना है। इसके लिए उन्होंने सभी भारतीयों से सहयोग की विनती की। श्री देवेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें आपके धन की, समय की, सेवा की, विचारों की, तथा आपके साथ की पग-पग पर आवश्यकता है।
इसके बाद उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ‘श्री डॉ. सुधीर पारिख’ जी का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनसे दो शब्द बोलने का आग्रह किया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सुधीर भाई पारिख जी को पिछले वर्ष ‘प्रवासी भारतीय सम्मेलन’ में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रवासी भारतीय’ के सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री पारिख जी ने हिन्दी यू.एस.ए के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा भविष्य में हर प्रकार की सहायता देने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने हिन्दी यू.एस.ए. के सामने ‘हिन्दी चेयर’ (न्यू जर्सी) बनाने का भी प्रस्ताव रखा।
 
श्री देवेन्द्र सिंह ने उत्तरीय पहना कर तथा श्री अनिल कुमार गुप्ता जी ने सम्मान पत्र देकर श्री पारिख जी का सम्मान किया। उसके बाद, श्री पारिख ने हिन्दी यू.एस.ए. के लगभग 20 शिक्षकों को उनकी अनवरत सेवा के लिए प्रमाण पत्र तथा उपहार प्रदान किए। यह ज्ञात हो कि हिन्दी यू.एस.ए लगभग 25 पाठशालाएँ पूरे अमेरिका में चला रहा है।
इसके बाद, श्री अनिल कुमर गुप्ता जी जो वॉशिंग्टन डी.सी. के भारतीय राजदूतवास से इस कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए विशेष रूप से पधारे थे तथा जो कम्यूनिटी अफेयर मिनिस्टर के पद पर कार्यरत हैं को मंच पर आमंत्रित किया गया तथा श्री नवीन गुप्ता जी जो न्यू जर्सी के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं के द्वारा सम्मान पत्र प्रेक्षित किया गया। श्री गुप्ता जी ने अपने सम्बोधन में हिन्दी के कार्यक्रमों तथा शिक्षा हेतु हर सम्भव सहायता देने का आश्वासन दिया। साथ ही उन्होंने कवि सम्मेलन की भी सराहना की और भविष्य में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने की बात कही। अंत में उन्होंने हिन्दी यू.एस.ए. के सभी स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र तथा उपहार भेंट किए। वे हिन्दी यू.एस.ए. की एकसार वेशभूषा से विशेष प्रभावित दिखे। उन्होंने कुछ ऐसे विश्वविद्यालय और विद्यालय के छात्र- छात्राओं को भी मंच पर सम्मानित किया जिन्होंने अमेरिका में जन्म लेने के बाद भी अपने हिन्दी प्रेम को बनाए रखा तथा पंचम हिन्दी महोत्सव में अपना समय व सेवाएँ हिन्दी यू.एस.ए. को दीं। इसमे 13 साल से 18 साल के बच्चे शामिल थे।
इसके बाद ‘चौपाटी’ के मालिक श्री चन्द्रकान्त पटेल को प्रथम हिन्दी नाम पट्टिका लगाने के लिए सम्मानित किया गया। हिन्दी यू.एस.ए. का प्रयास है कि ‘चाइना टाउन’ की तरह ‘इंडिया बाजार’ भी अपनी स्वयं की भाषा से सजे। इस प्रयास का यह पहला कदम है जो श्री पटेल ने उठाया है; वे निश्चय ही सम्मान के पात्र हैं। आशा है अन्य व्यापारीगण भी उनका अनुसरण करेंगे।
 
मध्यांतर के उपरांत अभिनव शुक्ल जी ने सहज ही अपनी तथा अन्य कवियों की कविताओं से तथा चुटकुलों द्वारा पुनः कवि सम्मेलन का वातावरण बना दिया और हिन्दी व्याख्याता तथा वरिष्ट कवियत्री श्रीमती बिंदेश्वरी अग्रवाल को मंच पर कविता-पाठ के लिए आमंत्रित किया। अपनी हास्य व्यंग की कविताओं से बिन्दु जी ने न केवल जन मानस को गुदगुदाया बल्कि उन्हें स्वदेश की याद से भिगो भी दिया।
 
उसके बाद कार्यक्रम के आयोजक तथा हिन्दी सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य मानने वाले श्री देवेन्द्र सिंह जी मंच पर आए जिनका कविताएँ लिखने का उद्देश्य सोए हुए समाज को जगाना तथा लोगों को कर्मठ बनाकर अपना जीवन सफल बनाने के साथ-साथ माँ भारती की सेवा करना सिखाना है। काव्य-पाठ प्रारंभ करने के पहले ही उन्होंने घोषणा की कि उनकी कविता सुनकर यदि आज 500 लोगों मे. से यदि 10 स्वयंसेवी भी हिन्दी की सेवा के लिए आगे नहीं आते हैं, तो उनका कविता सुनाना व्यर्थ है। उनकी दोनों कविताओं में जनता ने तालियों के साथ सुर में सुर मिलाया। बहुत सारे श्रोता उनकी ‘हिन्दू जागो, हिन्दी सीखो, हिन्दुस्तान बचाना है’ पंक्ति साथ-साथ तथा बाद में गुनगुनाते नज़र आए।
अंत में, मंच संभाला श्री शुक्ल जी ने जो हास्य और व्यंग के अतिरिक्त अन्य कई रसों में अपनी कविताएँ करते हैं। एक ओर तो भारतीय संस्कृति का अंग बनती जा रही एक बिन-सिर-पैर की परम्परा ‘वेलेंटाइन डे’ पर उनकी हास्य रचना तथा दूसरी ओर आतंकवाद के अंत की विनती, राम बनने का आव्हन उनके वीर रस तथा देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करते हैं। लखनऊ का वर्णन समेटे उनकी यादों की गठरी जब खुली तो पहुँच तो लोग मंत्र-मुघ्ध हों, बिना वायुयान, ही लखनऊ पहुँच गए और रबड़ी, कचौड़ी का स्वाद लेकर तभी लौटे जब कविता समाप्त हुई। इस प्रकार दोपहर एक बजे प्रारम्भ हुआ यह कार्यक्रम संध्या ठीक 5 बजे समाप्त हुआ। श्री महावीर भाई चूड़ास्मा जो हिन्दी महोत्सव के ग्रांड-स्पॉंन्सर भी हैं ने सभी कवियों को माँ शारदा की प्रतिमा हिन्दी सेवा के लिए धन्यवाद के साथ, प्रतीकात्मक रूप में भेंट की। सभी श्रोताओं ने कार्यक्रम के बाद कवियों से भेट कर, अपनी भावनाएँ व्यक्त की।
सन्दीप अग्रवाल जी ने अंत में सभी श्रोताओं को धन्यवाद दिया एवं हिंदी यू.एस.ए. से जुड़ने का आव्हान किया।
 
कुछ श्रोताओं ने हिन्दी की पुस्तकें, कवियों के सी.डी. व डी.वी.डी. भी खरीदे। पुस्त्कों के साथ-साथ भारतीय-कला तथा संस्कृति को दर्शाती हुई चित्रकला तथा पेंटिंग की प्रदर्शनी को भी दर्शकों ने सराहा। श्रोताओं ने खुले ह्रदय से अनुदान् दिया तथा भविष्य में हिन्दी यू.एस.ए. के कार्यक्रमों में शामिल होने की इच्छा भी जाहिर की। यदि आप भी हिन्दी यू.एस.ए. के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप हमारी website www.hindiusa.org देख सकते हैं या 856-582-5035 पर फोन कर सकते हैं।
 
 
 
 
 
 
 
== 'प्रवासिनी के बोल' का विमोचन==
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