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|रचनाकार=राजेश अरोड़ा
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}}
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<poem>
कवि!
यदि समूचा विश्व
दो भागों में बंट जाये
एक भाग लुटेरों का
एक भाग भिखारियों का
तो कहाँ रहोगे तुम
</poem>
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कवि!
यदि समूचा विश्व
दो भागों में बंट जाये
एक भाग लुटेरों का
एक भाग भिखारियों का
तो कहाँ रहोगे तुम
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