भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

संभावनाएँ / नीना सिन्हा

1,615 bytes added, 13:14, 2 अगस्त 2024
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीना सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीना सिन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उस इक क्षण ही
महसूसा हुआ कि
दुख और सुख
दोहराये नहीं जा सकते
कि, वह आत्मा में गहरी धँस जाये
और
क़तरा क़तरा ख़ूँ गिरता जाये
कीट्स की बुलबुल के ह्रदय में चुभे शूल की तरह
और
दर्द मर्मांतक हो
पीड़ादायक हो
सब कुछ निक्षुण्ण, सुन्न हो जाये
फिर भी
कविता की संभावनाएँ बची रहें

जिस तरह शनै: शनै: धागा कसता है
उँगलियों में धँस कर
रक्तारंजित हो
दम भर ठहर कर
जहर का तीक्ष्ण स्वाद चख कर

वह फिर
मुक्ति की तरफ़ लौटता है
वृत्ताकार यूँ ही
शनै: शनै:

कत्थई से धवल होते हुए
भारीपन से हल्का होते हुए

सुना है प्रेम व घात
सबकी सुनवाई होती है

समय भी
शिव की तरह कभी कभी
गहरा
ध्यानमग्न होता है!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits