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|रचनाकार=फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ
|अनुवादक=अनिल जनविजय
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प्रसिद्ध पुर्तगाली कवि फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ के 72 छद्म नामों में से एक नाम पीटर पाउलसेन भी था, जिसे उन्होंने डच कवि के रूप में पेश किया था। पीटर पाउलसेन को प्रस्तुत करते हुए फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ ने जो टिप्पणी लिखी थी, उसका अनुवाद नीचे किया गया है।

पीटर पाउलसेन डच (डेनमार्क के) कवि)

2015 में जब पीटर पाउलसेन 75 वर्ष के हुए तो उनका पच्चीसवाँ कविता-संग्रह प्रकाशित हुआ। इस संग्रह की सम्पादक लेने विस्सिंग उनके नए संग्रह के प्रकाशन से पहले जब पुस्तकालय में गईं तो उन्होंने देखा कि पीटर पाउलसेन के 21 संग्रह उस पुस्तकालय में रखे हुए हैं और सभी संग्रहों में कविताओं की विभिन्न पंक्तियों के नीचे लाइनें लगी हुई हैं। इसका मतलब यह है कि उनकी कविताएँ पाठकों के बीच लोकप्रिय हैं और पाठक अक्सर उनकी किताबें पढ़ते हैं।

पाउलसेन ने 1966 में लिखना शुरू किया था। तभी उनका पहला कविता-संग्रह भी आया था। इस पच्चीसवें संग्रह का नाम है -- ढोल गा रहे हैं। पाउलसेन की कविता का स्वर आम तौर पर उग्र न होकर शान्त होता है। वे शान्त भाषा में शान्त कविताएँ लिखते हैं।

वे अपनी कविताओं को प्रतीकों और बिम्बों से सजाने की कोशिश नहीं करते। उनकी अन्तर्मुखी कविताएँ मन के भीतर की चीख़ को अभिव्यक्त नहीं करतीं। वे मन को, अन्तरात्मा को बड़े सहज रूप में अभिव्यक्त करते हैं।

वे कविता-पाठ भी बेहद अनोखे रूप में करते हैं। कविता पढ़ते हुए उनके लिए यह ज़रूरी है कि पृष्ठभूमि में जाज़ (अँग्रेज़ी में जैज) संगीत बज रहा हो। उनका कविता-पाठ जैसे जाज़ संगीत के साथ एकमेक हो जाता है। आपके लिए पेश हैं उनकी कुछ कविताएँ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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