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<poem>
वित्त बजट का हाल पूछने
रामवचन घर पर आया है

बाबूजी सूखा आया था
क्या उसकी ख़ातिर राहत है ?
कर-माफ़ी की बात चली थी
हुआ पास बिल या दिक्कत है

शायद कुछ मिलने वाला है
उसे किसी ने बतलाया है

बाबूजी एल. पी. जी. वाला
सुना सिलेंडर मुफ़्त मिलेगा
है चुनाव सर पर इस ख़ातिर
कुछ मालिक हम सब को देगा

कुछ बातों को समझ रहा है
पर अब भी कुछ भरमाया है

बाबूजी हम समझ गये हैं
नहीं मिला फिर कुछ ग़रीब को
खाली वोट गिरा सकते हैं
और कोस सकते नसीब को

मैंने उसको ढाँढस देकर
सब हल होगा समझाया है।
</poem>
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