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मेरो देशको कुनै समस्या पनि टार्न नसक्ने म कवि भएँ
— जो तिम्रै मुस्कानमा मात्र अल्झिरह्रयो।
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'''[[मैं कवि / हरिभक्त कटुवाल / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]'''
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