भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
छुप जाते हैँ हैं सब कुछजहर रखेँ रखें या अमृतजीवन रखेँ रखें या मृत्यु
पर्दा लग जाने के बाद
बाहर से कुछ दिखाई नहीं देतादिखाई देता है सिर्फ पर्दा ।पर्दा।जिस तरह पोटली के अन्दर अंदरमांस डाल कर डालकर चलने पे पर भीसत्तु डाल कर सत्तू डालकर चलने पे पर भीदिखाई देती है सिर्फ पोटली वैसा ही है पर्दा लगना भी ।भी। मुझे कहीं भी दिखाई नहीं दिया पर्दा न लगा हुवा हुआ एक भी चेहरा आइने समाने खडे आईने के सामने खड़े हो कर खुद को देखते हुए भी
पर्दा नजर आता है मुझे
अपना चेहरा दिखाई देने से पहले ।पहले।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
10,372
edits