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अगर पूछा होता मेरे बारे में तो
आसानी से कह सकता था-था—हर रोज रोज़ जो खबर पढ्ते पढ़ते हो तुम
उसका निर्लज्ज पात्र
मैं हूँ ।हूँ।
तुम्हारी कविता में रहनेवाला भयानक विम्वविम्बजो हर वक्त तुम्हारे ही विरुद्ध में रहता हैवो मैं हूँ । हूँ।
राजनीति का कारखाना के कारखाने में निरन्तर निरंतर प्रशोधन होनेवालाअपराधका अपराध का नायकमैं हूँ । हूँ।
ना पूछना था, पूछ ही तो लियाबस्बस, इतना कह सकता हूँ-हूँ—
माँ के साथ रहने तक
मैं सब से सबसे अच्छा था ।था।
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