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र मेरो अतीतले थाहा पाउँछ
ममा बाँसको झैं खोक्रोपना छ ।
०००...............................................[[मैं और मेरा अतीत / पारिजात / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
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