भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कतै कसैले
मलाई पनि पर्खला।
०००
..............................
[[अर्धनारीश्वर / कुन्दन शर्मा / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक करके इस कविता का एक हिंदी अनुवाद पढ़ा जा सकता है।]]
</poem>