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स्वगत: / नागार्जुन

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|रचनाकार=नागार्जुन
}}
 
आदरणीय,<br>
अब तो आप <br>
ओ मेरी माँ, ओ मेरे बाप !<br>
आपकी कीर्ति- <br>
 
 
(यह रचना 'वाणी प्रकाशन' से 1994 में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'भूल जाओ पुराने सपने' से है )
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