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हमर प्रार्थनामे / दीपा मिश्रा

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<poem>
हम अहाँ कहिओ एक संग
स्वप्न नहि देख सकब
हमर अहाँक दुनिया एक होइतो भिन्न अछि
अहाँक दुनियामे बर्फ अछि
पहाड़ अछि,चिनारक फूल
देवदारक छाया अछि
ओ दुनिया स्वर्ग सन गढ़ल
झेलमकेँ पानि सन कल कल
गीत गबैत अछि
अहाँक स्वप्नमे चिड़इ बाजत
झीलक एनामे सूर्य चमकत
माएक उंगरि पकड़ने नेना
पढ़बाक लेल स्कूल जाएत
हमर दुनियामे रेत अछि
दूर तक पसरल मरुभूमि
जतय सियार गिद्ध घूमैये
जतय पाटल लहास पर
समय अपन माथ पटकैत
कनैये
हमर स्वप्नमे आगि अछि
आंत अछि भूख अछि
धीपैत चुट्टा अछि
काठ कोरो सन रोटी अछि
हम कहिओ नै कहब अहाँके
जे अपना सब स्वप्न बदलि लिए
हम अपन प्रार्थनामे एतबी कहब
अहाँक धरती बचल रहे
अहाँक स्वप्न बचल रहे
</poem>
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